अखिलेश के मुख्यमंत्रित्वकाल में ही संस्कृत विद्वानों को सम्मान और संस्कृत शिक्षा को प्रोत्साहन मिला था - डाॅ0 आशुतोष द्विवेदी


वेबवार्ता(न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा

लखनऊ 10 जुलाई। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से आज वाराणसी के बुद्धिजीवियों के एक दल तथा वाराणसी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत शिक्षकों के प्रतिनिधिमण्डल ने भेंट की। संस्कृत शिक्षकों के प्रतिनिधिमण्डल का नेतृत्व डाॅ0 विकास यादव एवं डाॅ0 आशुतोष द्विवेदी ने किया। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में ही संस्कृत विद्वानों को सम्मान और संस्कृत शिक्षा को प्रोत्साहन मिला था। भाजपा काल में उनकी उपेक्षा हो रही है।

     बुद्धिजीवी समाज के वरिष्ठ सदस्यों ने कहा कि सन् 2022 में प्रदेश में जब समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी तभी उत्तर प्रदेश का सम्मान एवं लोकतंत्र बचेगा। संस्कृत शिक्षकों ने बताया कि समाजवादी सरकार के 5 साल के (2012-17) के कार्यकाल में लगभग 1000 संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कारों की राशि में वृद्धि हुई और व्यास महोत्सव व बाल्मीकि जयंती जैसे उत्सवों का विस्तार हुआ। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान को संस्कृत के प्रचार प्रसार हेतु दी जाने वाली राशि दूनी की गई। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के मुख्य भवन के जीर्णोद्धार हेतु 12 करोड़ रूपए की राशि स्वीकृत की गई थी।

     संस्कृत शिक्षकों ने बताया कि संस्कृत महाविद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं को कन्या विद्याधन का लाभ मिला था तथा वित्तविहीन संस्कृत महाविद्यालयों को अनुदान की श्रेणी में लाया गया था। संस्कृत शिक्षकों ने श्री अखिलेश यादव के पुनः मुख्यमंत्री बनने की शुभकामनाएं दी।

     श्री यादव ने संस्कृत शिक्षकों को आश्वासन दिया कि बहुमत की समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा और संस्कृत भाषा के प्रसार को प्रोत्साहित कराया जाएगा।